Tuesday, August 21, 2012

MICCHHAMI DUKKADDM

MICCHHAMI DUKKADDM
खामेमि सव्वे जीवा,सव्वे जीवा खमंतु मे।
मित्ती मे सव्वभूएसु,वेरं मजझं न केणई।।
एवमहं आलोइय, निँदिय गरहिय दुगंछिय सम्मं।
तिविहेण पडिक्कंतो, वंदामि जिण चउव्वीसं।।
शब्दार्थ :- मैँ सभी जीवोँ को क्षमा करता हूँ सब जीव मुझको क्षमा करेँ मेरी सम्पूर्ण प्राणियोँ से मित्रता है मेरा किसी से भी वैर नहीँ है। इस प्रकार मैँ अपनी आलोचना करके आत्मसाक्षी से निन्दा करके साक्षी से गर्हा करके जुगुप्सा(ग्लनि,घृणा) करके मन, वचन, काया द्वारा पापों से निवृत होता हुआ चौबीस अरिहन्त भगवान को वन्दना करता हूँ।

I grant forgiveness to all living beings
I solicit forgiveness from all living beings
I am frinds with all living beings
I do not have any animosity towards any living beings
MICCHHAMI DUKKADDAM