शास्त्री श्री पदम मुनि राय
तुमरा नाम सदा सुखदाय
जो श्रद्धा से शीश नमाय
मन वांछित आशा फल जाय।
सूर्योदय तुझ ध्यान धरे हम
चरण कमल ज्यूं शीश धरे हम
मन मे उपजे हर्ष अपार
मिथ्या मति का हो संहार ।
सांझ पड़े तुझ छवि मन उपजे
हृदय पटल ज्यूं मूरत प्रकटे
कटे सकल कर्म जंजाल
गुरुवर तुम हो दीनदयाल ।
गुरु सुदर्शन के तुम भाई
बन शिष्य, उन्हीं से दीक्षा पाई
गुरु सेवा थी तुझ मन भाई
तन मन न्योछावर जिनशासन तांई ।
सब गुरु भाईयों ने तुझे माना
गुरु गद्दी के योग्य जो जाना
संघ कार्यभार के हेतू
पद्म मुनि को श्रेयकर जाना ।
13 फरवरी 2000 सन्
शुभ दिन आया अति उजियारा
जीन्द शहर में अजब नज़ारा
संघ नायक की पदवी पाई
मुनि मया राम का संघ स्वाई
बाबा जग्गू मल के प्यारे
दादागुरू मदन की आंख के तारे
पिताश्री श्री शाम लाल जी
मां कलावती के भाग्य संवारे
जो ध्यावे चिन्ता चकचूर
दुख दुविधा भागे अति दूर
लग जाए धन धान्य अम्बार
महिमा तेरी अपरम्पार
तुम रवि ,शशि ,शीतल समीर
तुम हो धीर वीर गम्भीर
बरसी जिन वाणी गंगा नीर
भक्तजनो की हरी , हर पीर
अप्रैल 29 , 2016
घड़ी मनहूस कुछ एसी आई
सुबह सवेरे 9-25 पर,
तेज़ घटा कुछ एसी छाई
छूटे तन से प्राण तुम्हारे
गुरु की ज्योत में ज्योत समाई
है गुरुवर, मन मे यही तरंग
हर सांस - सांस हो तेरा संग
कर्म सरोवर सूखे नीर
पहुंचा दो हमें भवजल तीर ।
🙏🏻🙏🏻 श्री गुरु कृपा 🙏🏻🙏🏻
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Wednesday, May 18, 2016
श्रद्धा सुमन
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