मानव समाज को अन्धकार से प्रकाश की ओर लाने वाले महापुरुष भगवान महावीर का जन्म ईसा से 599 वर्ष
पूर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में त्रयोदशी तिथि को बिहार में लिच्छिवी वंश के महाराज श्री सिद्धार्थ और माता त्रिशिला देवी के यहां हुआ था. जिस कारण इस दिन जैन श्रद्धालु इस पावन दिवस को महावीर जयन्ती के रूप में
परंपरागत तरीके से हर्षोल्लास और श्रद्धाभक्ति पूर्वक मनाते हैं. बचपन में भगवान महावीर का नाम वर्धमान था. जैन धर्मियों का मानना है कि वर्धमान ने कठोर तप द्वारा अपनी समस्त इन्द्रियों पर विजय प्राप्त कर जिन
अर्थात विजेता कहलाए. उनका यह कठिन तप पराक्रम के सामान माना गया, जिस कारण उनको महावीर
कहा गया और उनके अनुयायी जैन कहलाए.
पूर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में त्रयोदशी तिथि को बिहार में लिच्छिवी वंश के महाराज श्री सिद्धार्थ और माता त्रिशिला देवी के यहां हुआ था. जिस कारण इस दिन जैन श्रद्धालु इस पावन दिवस को महावीर जयन्ती के रूप में
परंपरागत तरीके से हर्षोल्लास और श्रद्धाभक्ति पूर्वक मनाते हैं. बचपन में भगवान महावीर का नाम वर्धमान था. जैन धर्मियों का मानना है कि वर्धमान ने कठोर तप द्वारा अपनी समस्त इन्द्रियों पर विजय प्राप्त कर जिन
अर्थात विजेता कहलाए. उनका यह कठिन तप पराक्रम के सामान माना गया, जिस कारण उनको महावीर
कहा गया और उनके अनुयायी जैन कहलाए.