जय सुदर्शन जय पदम
हुआ सिहांसन खाली किसे बिठाएंगे,
संघ नायक गुरुवर सा कंही ना पाएंगे,
उन सा उंचा कद और वैसी शख्सियत
उन जैसी ताकत कंहा से लाएँगे!
आपके चरणों में हल होता था हर सवाल,
आपकी थपकी से हो जाते थे हम निहाल,
अब कौन देगा हौंसले,और ये कहेगा कौन
अपनी सारी उलझने, झोली में मेरी डाल!
किसके पाँवों का अंगुठा हिलाएंगे,
संघ नायक गुरुवर सा कंही ना पाएंगे!!