*सामायिक* अनमोल है
राजा श्रेणिक ने *भगवन महावीर* से सामायिक का मूल्य पूछा, तो भगवन ने उत्तर दिया - हे राजन! यदि चाँदी, सोना, जवाहरात का ढेर, सूर्य और चाँद को छु जावे, इतना धन तो सामायिक का मूल्य तो क्या, उसकी दलाली के लिए भी पर्याप्त् नही होगा।
*शुद्ध सामायिक आत्मा को मोक्ष के द्वार तक ले जाती है।*
सामायिक की महिमा बताते हुए कहा भी है की
लाख खंडी सोना तनो (मुद्रा ), लाख वर्ष दे दान।
सामायिक तुल्य नहीं, कहा ग्रन्थ दरमियान ।।
सामायिक से क्या होता है
1 सामायिक से श्रमण जीवन की यात्रा प्रारम्भ होती है जो श्रमण से केवली और केवली से सिद्ध पद को प्रदान करती है
2 स्वयं की आत्मा के अनंत सुख के सागर को देखने का सुअवसर मिलता है
3 जो सुख करोडो के महलो में नही वो सुख सामायिक 48 मिनट में देती है
4 सामायिक वर्तमान जीवन को सुधारने और मोक्ष को प्रदान करती है
5 देवता जिनवाणी सुन सकते है सामायिक नही कर सकते , यह सुअवसर केवल मानव को ही मिला है।
सामायिक लेना क्यो जरुरी है
जिस प्रकार विधि से बनी रोटी रसना को स्वाद और लाभकारी होती है उसी प्रकार विधि से ली सामायिक शास्वत सुख और कर्म का अंत करने वाली होती है।
शास्त्रीय विधान अनुसार सामायिक उपाश्रय में लेनी चाहिए और विराजित संत की और मुह करके लेनी चाहिए
यदि संत विराजमान न हो तो पूर्व दिशा जो उदय की सुचना देती है तेजस्विता का सन्देश देती है की और मुह करके करनी चाहिए
उत्तर दिशा की और मुह ऊची गति और उच्च भाव का सन्देश देती है की उत्तर दिशा की और मुह रखे।
पूर्व के बाई और उत्तर दिशा होती है और आदमी का हृदय भी बाई और होता है इसलिए उत्तर पूर्व दिशा की और मुह होना चाहिए तथा ईशान दिशा में सदैव महाविदेह में तीर्थंकर भगवंत का विचरण होता है अत ईशान दिशा में भी मुह कर सकते है।